safalta ka mantra

सफलता का मंत्र : जीवन के हर कदम पर विश्वास जरूरी है

Safalta ka Mantra : विश्वास के बिना कोई नहीं रह सकता। यह मानव व्यक्तित्व का अविभाज्य पहलू है। यहां तक कि सांसारिक गतिविधियों में भी विश्वास की आवश्यकता होती है।

Safalta ka Mantra : उदाहरण के लिए, किसी होटल में भोजन करने के लिए यह विश्वास जरूरी है कि भोजन जहरीला नहीं है। इसी तरह, बैंक में पैसा जमा करते समय हमें भरोसा होता है कि हमारा धन सुरक्षित रहेगा और बैंक उसे हड़पेगा नहीं। अतः जीवन के हर कदम पर विश्वास की आवश्यकता होती है। हमारे जीवन की दिशा इस बात से निर्धारित होती है कि हम अपनी आस्था कहां रखते हैं।

उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति यह मानता है कि धन महत्वपूर्ण है, वह धन संचय करने में अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देता है। महात्मा गांधी का सत्य और अहिंसा में दृढ़ विश्वास था। उनका यह विश्वास इतना मजबूत था कि उन्होंने अपनी मान्यताओं के आधार पर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। इसी प्रकार जो लोग भगवद्-प्राप्ति के सर्वोपरि लक्ष्य में गहरी आस्था रखते हैं, वे ईश्वर की खोज में अपने भौतिक जीवन का त्याग कर देते हैं।

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इस प्रकार, हमारा विश्वास हमारे जीवन की दिशा को परिभाषित करता है। आस्था विभिन्न माध्यमों से उत्पन्न होती है। कुछ लोग उस पर विश्वास करते हैं, जो प्रत्यक्ष है। उदाहरण के लिए, लोग कहते हैं, ‘मैं ईश्वर में विश्वास नहीं करता, क्योंकि मैं उसे देख नहीं सकता।’ ऐसे लोगों को ईश्वर पर भरोसा नहीं होता, पर अपनी आंखों पर भरोसा होता है। कुछ लोग परिवार और दोस्तों से राय लेते हैं। कुछ लोग अनुभव के आधार पर विश्वास बनाते हैं। एक छात्र टेनिस खेल में हाथ आजमाता है और विफल होने पर स्वतः मान लेता है कि वह खेल में निपुण नहीं हो सकता और अपनी क्षमताओं पर विश्वास खो देता है। कुछ लोग सुनी-सुनाई बातों पर भी विश्वास कर लेते हैं। ऐसा जर्मनी में नाजी शासन के दौरान देखा गया था। उन्होंने राष्ट्र को घोर असत्य पर विश्वास करने के लिए षड्यंत्र रचा, परिणामस्वरूप उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध का सामना करना पड़ा।

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उपर्युक्त सभी स्रोतों में अपनी-अपनी कमियां हैं, क्योंकि उनमें त्रुटियां होने की संभावना है। अनुचित स्रोतों पर किया गया विश्वास हमें गलत दिशा में ले जाता है, अंततः हमारा जीवन भी विपरीत दिशा में बढ़ता है। आध्यात्मिक पथ पर हमारा लक्ष्य ऐसे विश्वासों का निर्माण करना होना चाहिए, जो आध्यात्मिक प्रगति में सहायक हों। तो, हम ऐसे उचित विश्वासों का कैसे पोषण करें, जो हमारे लिए कल्याणकारी हों एवं हमें ईश्वर की ओर ले जाएं? हालांकि गुरु में आस्था रखने के संबंध में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। हमें अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। इससे पहले कि हम किसी गुरु पर भरोसा करें, हमें यह पुष्टि करनी चाहिए कि उन्हें परम सत्य का ज्ञान हो गया है। एक बार पुष्टि हो जाने पर हम उनकी बातों पर निर्विवाद विश्वास रख सकते हैं, क्योंकि वे त्रुटि रहित हैं।